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Thursday, October 28, 2021

साहित्य और इतिहास को नए सिरे से समझने व व्याख्या करने की जरूरत: डा अवनिजेश अवस्थी

हिंदी साहित्य में कई धाराएं चलीं और चलाई गईं लेकिन राष्ट्रीय चेतना की धारा को हमेशा हाशिए पर ही रखा गया। जबकि आजादी से पहले का हिंदी साहित्य राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत रहा है। आजादी के बाद भी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना का स्वर प्रबल रूप से नजर आता है।

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